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सिरोही में किसान उत्पादक संगठनों के निर्माण की हुयी शुरूआत

सिरोही, 24 जून।

10000 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन और संवर्धन हेतु केंद्रीय क्षेत्र योजना के अंतर्गत जिला स्तरीय निगरानी समिति (डी-एमसी) की तीसरी बैठक मुख्य कार्यकारी अधिकारी भागीरथ विश्नोई की अध्यक्षता में आयोजित की गई।

मुख्य कार्यकारी अधिकारी और डी-एमसी अध्यक्ष ने राजस्थान बाल कल्याण समिति को निर्देश दिये की कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा निर्धारित समय सीमा अर्थात 15 जुलाई 2021 तक दोनों ब्लॉको मे किसान उत्पादक समूहों का पंजीकरण कंपनी अधिनियम के भाग प्ग्-ए के तहत करना सुनश्चित करें। उन्होने यह भी निर्देश दिये की भारत सरकार के निर्देशानुसार किसान उत्पादक कंपनी के पंजीकरण पश्चात कम से कम 300 किसान सदस्यो को सितम्बर माह के अंत से पहले जोड़ना सुनश्चित किया जाए।

मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने यह भी निर्देश दिये की अधिक से अधिक संख्या में किसानो को एफपीओ से जोड़ने के लिए राजस्थान बाल कल्याण समिति क्लस्टर क्षेत्र में जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करे तथा 15 से 20 किसानो के किसान हित समूहो (एफआईजी) का निर्माण करे जिनसे मिलकर किसान उत्पादक समूह का गठन किया जा सके। उन्होने बैठक मे उपस्थित समिति के सभी सदस्यों से यह भी कहा की राजस्थान बाल कल्याण समिति को किसान उत्पादको के निर्माण हेतु आवश्यक सहायता संबन्धित विभाग प्रदान करें।

सहायक महाप्रबंधक, नाबार्ड एवं सदस्य सचिव जिला स्तरीय निगरानी समिति (डी-एमसी), जितेंद्रकुमार मीना ने सभी सदस्यों का बैठक में स्वागत करते हुये बताया की समिति की 29.12.2020 को आयोजित दूसरी बैठक में सिरोही जिले के आबु रोड तथा रेवदर ब्लॉक में क्रमशय सौंफ एवं अरंडी उत्पादो को चिन्हित कर निगरानी समिति द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया था।

उन्होने समिति के सभी सदस्यों को अवगत कराया की सिरोही जिले के आबू रोड एवं रेवदर ब्लॉक मे किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन और संवर्धन हेतु क्लस्टर आधारित व्यापार संगठन के रूप मे राजस्थान बाल कल्याण समिति का चयन किया गया है।

सहायक महाप्रबंधक, नाबार्ड ने किसान उत्पादक संगठन और 10,000 एफपीओ के गठन और संवर्धन के लिए केंद्रीय क्षेत्र की योजनाके दिशानिर्देशों पर एक विस्तृत पावर प्वाइंट प्रस्तुति दी। उन्होने बताया की किसान उत्पादन संगठन के संवर्धन के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु नए एफपीओ को वित्तीय सहायता अधिकतम रु.18 लाख ध् एफपीओ या वास्तविक, जो भी कम हो, गठन के वर्ष से तीन वर्षों के दौरान प्रदान किया जाएगा। भारत सरकार इस योजना के तहत किसान उत्पादक संगठन को इक्विटी ग्रांट की मैचिंग ग्रांट के रूप मेंअधिकतम 15.00 लाख रुपये प्रति एफपीओ तक प्रदान करेगी। इसके अलावा, भारत सरकार द्वारा किसान उत्पादक संगठनो को संस्थागत ऋण के प्रवाह में तेजी लाने के लिए उपयुक्त क्रेडिट गारंटी कवर प्रदान करने के लिए एक हजार करोड़ रुपेय का क्रेडिट गारंटी फंड (सीजीएफ) नाबार्ड मे स्थापित किया गया है, जिसके माध्यम से बैंको द्वारा दिये गए ऋण पर नाबार्ड क्रेडिट गारंटी कवरेज प्रदान करेगा।

सहायक महाप्रबंधक, नाबार्ड ने बताया की भारत सरकार द्वारा किसान उत्पादक संगठन को इक्विटि ग्रांट दी जाएगी अतः किसान उत्पादक समूहो के गठन की प्रक्रिया के दौरान इस बात का ध्यान रखा जाए की एफपीओ के कुल सदस्यों के 50ः किसान छोटे, सीमांत और भूमिहीन किसान हो। उन्होने आगे बताया की एफपीओ के निदेशक मण्डल में कम से कम एक महिला किसान का भी निदेशक होना आवश्यक है तथा एक सदस्य एफपीओ की कुल इक्विटि का अधिकतम 10ः ही शेयर अपने पास रख सकता है।

जिला स्तरीय निगरानी समिति (डी-एमसी) की तीसरी बैठक के दौरान उप निदेशक- कृषि विस्तार, सहायक निदेशक-बागवानी, अग्रणी जिला अधिकारी, उप निदेशक दृ आत्मा, सयुंक्त निदेशक- पशुपालन के प्रतिनिधि, उप-रजिस्ट्रार-समितियां, एमडी-सिरोही डीसीसीबी, डीपीएम-रजीविका और वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख दृ कृषि विज्ञान केंद्र भी उपस्थित रहे तथा सभी ने अपने अमूल्य सुझाव साझा किए।

 

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